देशभर में बदले जा सकते हैं पुराने सिम कार्ड, साइबर सुरक्षा जांच के बाद सरकार की बड़ी तैयारी।

टेलीकॉम कंपनियों के साथ बैठक, राष्ट्रीय सुरक्षा पर उठी चिंता

नई दिल्ली: भारत सरकार अब पुराने सिम कार्ड्स को बदलने की दिशा में बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है। यह निर्णय राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक (NCSC) और गृह मंत्रालय द्वारा की गई एक संयुक्त जांच के बाद सामने आया है। जांच में पाया गया कि कुछ सिम कार्ड्स में प्रयुक्त चिपसेट्स चीन से आए थे, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं बढ़ गईं।

सूत्रों के अनुसार, एनसीएससी ने देश की प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया के वरिष्ठ अधिकारियों और दूरसंचार मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। इस बैठक में सिम कार्ड आपूर्ति प्रक्रिया की खामियों पर चर्चा की गई और पुराने सिम कार्ड्स को बदलने के लिए एक रूपरेखा तैयार करने पर विचार हुआ।

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चीनी चिपसेट्स पर सख्ती

भारत ने पिछले वर्षों में हुआवेई और जेडटीई जैसे चीनी उपकरण निर्माताओं पर पहले ही प्रतिबंध लगाया है। मार्च 2021 में दूरसंचार विभाग ने यूनिफाइड एक्सेस सर्विस लाइसेंस में संशोधन किया था, जिसके तहत किसी भी अविश्वसनीय वेंडर से उपकरण खरीदने पर रोक लगा दी गई थी। साथ ही, यह जिम्मेदारी एनसीएससी को दी गई थी कि केवल विश्वसनीय आपूर्तिकर्ताओं को ही मंजूरी दी जाएगी। लेकिन जांच में सामने आया कि कुछ वेंडर्स ने इस प्रणाली का भी दुरुपयोग किया और चीनी चिप्स को विश्वसनीय स्रोत बताकर आपूर्ति की।

भारत में फिलहाल मोबाइल सब्सक्राइबर्स की संख्या 115 करोड़ से अधिक है। ऐसे में अगर सरकार पुराने सिम कार्ड्स को बदलने का निर्णय लेती है तो देशभर में लंबी लाइनों और बड़े पैमाने पर बदलाव की स्थिति देखने को मिल सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और भविष्य में किसी भी साइबर खतरे को रोकने के लिए आवश्यक है।

अनिवार्य टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन

अब सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि देश में किसी भी टेलीकॉम उपकरण का आयात, बिक्री या उपयोग से पहले उसकी अनिवार्य टेस्टिंग और प्रमाणन होगा। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भारत में उपयोग किए जाने वाले सभी उपकरण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों पर खरे उतरें।

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